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लोग कहते हैं मैं बिगड़ गया हूं

लोग कहते हैं मैं बिगड़ गया हूं धीरे-धीरे आदत में सुधार ला रहा हूं सौभाग्य अच्छा रहा हर किसी का प्यार मिलने लगेगा


चाहतों की दहलीज पर वह कदम रखने लगे हैं आहट मिलने लगी है अरमान पूरे हो जाएंगे


गलतियों पर सजा मिलती तो इतनी ज्यादा तकलीफ नहीं होती गुस्सा हद से ज्यादा इसलिए आ रहा है कि बेकसूर हूं

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सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ना आसान नहीं होता

सफलता की सीढ़ियों को चढ़ना आसान नहीं होता जो मुश्किल भरी राहों से गुजर जाने का विश्वास रखते हैं सिर्फ वही मंजिल तक पहुंच पाते हैं कुछ वक्त और ठहर जाते हैं हो सकता था दिल की बात हो जाती दोनों के चाहतों का खुलासा हो जाता मन की कुछ बातों का इजहार करना है मेरे दिल में ना कोई प्यास रह जाती वह इशारों को मेरे समझते हैं फिर भी उनकी अनजान बनने की आदत है मुझको ऐसी लत लग गई है उनकी इबादत करने को मेरी आदत है इश्क में किसी को ज्यादा सताना अच्छा नहीं होता इतना तकलीफ ना दो कोई दूर हो जाए और तुम से नफरत करने लगे

मुझको हर खुशी देने का वादा किया

मुझको हर खुशी देने का वादा किया जेब खाली होते ही लापता हो गई कुछ प्रश्न का उत्तर लेने को ढूंढता हूं इधर उधर मोहब्बत में जिसे सब कुछ दे दिया फिर क्यों मुझसे बेवफा हो गई उसकी रफ्तार इतनी ज्यादा रही आगे निकलने को मैं सोचता रहा पीछे छूट जाने में क्या कमी रह गई इसका अंदाजा मुझको अब हो गया है

दूरियों से घबराकर जो ठहर गया होता

दूरियों से घबराकर जो ठहर गया होता शायद आज मंजिल उतनी ही दूर होती धीरे-धीरे सही लगातार चलने से आज कामयाब इंसान हूं कभी-कभी जिंदगी रुख ऐसे मोड़ लेती है यकीन नहीं होता हम क्या से क्या हो गए वक्त रहते संभलकर चला होता खराब रास्तों से गुजरना नहीं पड़ता