दूरियों से घबराकर जो ठहर गया होता शायद आज मंजिल उतनी ही दूर होती धीरे-धीरे सही लगातार चलने से आज कामयाब इंसान हूं कभी-कभी जिंदगी रुख ऐसे मोड़ लेती है यकीन नहीं होता हम क्या से क्या हो गए वक्त रहते संभलकर चला होता खराब रास्तों से गुजरना नहीं पड़ता
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